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मंगल ग्रह पर जीवन कि संभावनाओ को टटोलने के लिए सरकार ने एक यान मंगल ग्रह पर भेजा है। इस अभियान पर 450 करोड़ रुपये खर्च हुए है। बताया गया है कि मंगल पर यान भेजने के बाद भारत अमेरिका रूस जैसे कुछ देशो के क्लब में शामिल हो गया है जो मंगल पर यान भेजने में सक्षम है l जब मैं वैज्ञानिको के नजरिये से देखता हूँ तो मुझे देश कि इस उपलब्धि पर गर्व होता है। लेकिन जब मैं एक आम आदमी कि तरह सोचने लगता हूँ तो मेरी समझ में नहीं आता कि भुखमरी से जूझ रही देश कि जनता का पेट भरने के बजाय सरकार मंगल पर जीवन कि सम्भावनाये क्यों तलाश कर रही है। अमेरिका और रूस के साथ होड़ करते समय सरकार को अपने देश में गरीबी और भ्रस्टाचार , महंगाई क्यों नज़र नहीं आती है। देश कि लगभग आधी आबादी को आज भी पेटभर खाना मयस्सर नहीं है। करोडो लोग आज भी खुले आसमान के नीचे रात गुजारते है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका और रूस से होड़ कर रही सरकार आखिर नागरिक सुविधाओ , चिकित्सा सेवाओ , यातायात के साधनो , जटिल रोगो के इलाज़ जैसे मामलो में भी क्या इसी गम्भीरता से इन देशो के साथ होड़ करती है।
हमारे यंहा एक बात कही जाती है कि पहले अपने घर को सम्भालो फिर दूसरे को देखो। पहली बात तो ये कि मंगल पर जीवन कि तलाश में पता नहीं अभी कितना समय लग जाना है। संयोगवश यदि यंहा जीवन मिल भी गया तो वर्षो लग जायेंगे यंहा किसी मनुष्य को बसने मे और क्या गारंटी है कि यदि यंहा जीवन मिला भी तो अमेरिका रूस जैसे शक्तिशाली देश यंहा किसी और को पैर जमाने देंगे। मंगल पर यान भेजने के बाद अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण के अरबों डॉलर के जिस बाज़ार पर भारत कि नज़र है कई दुसरे देश जो हमसे मीलो आगे है उनकी भी नज़र वंही पर जमी है। दरअसल पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पोखरण में परमाणु परिक्षण कर इसे चुनाव में भुनाने का प्रयास कर चुकी है। अब महंगाई और भ्रस्टचार के आरोपो में घिरी सरकार चुनाव में जाने से पहले अपने खाते में कुछ उपलब्धिया जोड़ रही है इसके लिए खाद्य सुरक्षा कानून से लेकर इस प्रकार के आयोजन भी शामिल है। मेरी बातो से मैं आपको मूर्ख लग सकता हूँ क्योकि आज पूरा देश हमारे देश और वैज्ञानिको कि इस उपलब्धि पर खुश हो रहा है मैं भी खुश हूँ और इस उपलब्धि के लिए वैज्ञानिको को बधाई देता हूँ लेकिन एक आम आदमी के नजरिये से मैं अभी भी कहता हूँ कि जिस शिद्दत से सरकार मंगल पर जीवन तलाश कर रही है उसी शिद्दत से देश में गरीबी हटाने और देश में भूखे लोगो कि भूख मिटाने के लिए भी प्रयास किये जाने चाहिए। क्योंकि मुझे लगता है कि अंतरिक्ष में यान तो एक सप्ताह या एक माह के बाद भी भेजा जा सकता है लेकिन रोटी के बगैर कोई भूखा आदमी एक माह तक ज़िंदा नहीं रह सकता।
और अंत में जंहा भूख के मारे गरीब लोग आज भी सड़क पर दम तोड़ देते है, जंहा साहूकार का कर्ज़ न चूका पाने पर आज भी किसान आत्महत्या करते है , जंहा आबादी का एक बड़ा हिस्सा आज भी खुले आसमान के नीचे सोता है , जंहा गरीबी के कारण लाखो बच्चे शिक्षा से वंचित है , जंहा गरीब जनता को महंगाई और भ्रस्टाचार कि दो तरफ़ा मार से जूझना पड़ता है उस देश कि जनता और नीति नियंताओ को मंगल ग्रह पर एक अंतरिक्ष यान भेजने पर हार्दिक बधाई …।
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