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अभिव्यक्ति क़ि आज़ादी ……

मन की बात
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असीम त्रिवेदी कल तक बहुत कम लोग इस नाम से परिचित होंगे लेकिन आजकल असीम त्रिवेदी नाम का ये ये शख्स देश भर में एक जाना पहचाना चेहरा है l विवादस्पद कार्टून बनाने के मामले में देशद्रोह जैसे संगीन आरोप में जेल जाने के बाद चर्चा में आये असीम त्रिवेदी के समर्थन में ऐसे लोगो ने भी सरकार को कोसने में कोई कसर नहीं छोड़ी जिन्होंने शायद कभी उनके बनाये कार्टून को देखा भी नहीं हो l केंद्र क़ि कांग्रेसनीत सरकार के खिलाफ देश में बने माहौल में आजकल सरकार के खिलाफ बोलने वाला हर व्यक्ति हीरो बना दिया जा रहा है l कांग्रेस सरकार के घोटालो और भ्रस्टाचार में दुसरे कई मुद्दे नेपथ्य में चले गए है l शायद यही कारण था क़ि असीम के जिस कार्टून को लेकर विवाद हुआ उस पर बहुत कम लोगो का ध्यान गया l
एक शेर है ” बदनाम हुए तो क्या नाम ना होगा ” कुछ ऐसा ही हो रहा है आजकल देश में अगर आपको चर्चा में आना है तो दीजिये कोई ऐसा बयां के उस पर बवाल हो जाए और आपको मुफ्त में पब्लिसिटी मिल जायेगी हिंदी फिल्मो में यह आम है किसी फिल्म का नाम विवादों में आने का मतलब है फिल्म के हिट होने क़ि गारंटी मिका के किस पर हल्ला मचाने पर अनाम सी राखी सावंत अचानक हॉट केक बन जाती है , भारतीय क्रिकेट टीम के सामने कपडे उतारने के बयान के बाद पूनम पाण्डेय जैसी अनाम सी मॉडल चारो तरफ छा जाती है, कल तक कौन जानता था हरियाणा के मंत्री गोपाल कांडा को लेकिन गीतिका केस के बाद कांडा को देश भर में पहचाना जाता है उनके पास कितनी कम्पनी है उन कम्पनी में कितनी लडकियां काम करती है पहले कांडा चप्पल बेचते थे आज हर कोई उनके बारे में जानता है , ऐसे एक नहीं कई उदहारण आपको मिलेंगे जब लोगो ने चर्चाओ में आने के लिए या तो उटपटांग काम किये या ऐसे बयान दिए ऐसे मामलो को मीडिया जमकर तूल देता है l ज़रा गौर कीजिये क़ि कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह जब भी अपना मुंह खोलते है एक नया विवाद खड़ा हो जाता है l दिग्विजय जैसे नेता जो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है और दशको से राजनीति में है क्या वह नहीं जानते क़ि वह क्या बोल रहे है और इसका अर्थ और परिणाम क्या होगा l जी हाँ उन्हें सब पता है लेकिन फिर भी वह जानबूझकर बोलते है और उनका हर एक बयान सुर्खिया बटोरता है l किसी भी राजनीतिक घटनाक्रम पर मीडिया उनकी टिप्पणी का तलबगार रहता है l यही तो वह चाहते है l नतीजतन दिग्विजय सिंह को देश भर में अलग पहचान मिली है कुछ ऐसा ही है लालू प्रसाद यादव के साथ राजनीती के जोकर कहलाने वाले लालू प्रसाद अपनी चटपटी टिप्पणियों को लेकर ही पूरे देश में पहचाने जाते है और भी ना जाने कितने उदहारण है l जब लोगो ने नाम कमाने के लिए खुद को बदनाम किया है l
बात करते है असीम क़ि और उनसे जुड़े विवाद क़ि उनके बनाये कार्टून निसंदेह विवादस्पद है l देश के संविधान में आस्था रखने वाला कोई भी व्यक्ति इस बात से इनकार नहीं करेगा क़ि असीम ने अभिवयक्ति क़ि आज़ादी के नाम पर सीमा लांघने का प्रयास किया है l इसकी इजाज़त किसी को नहीं दी जानी चाहिए l ज़रा गौर कीजिये इस मामले को लेकर असीम के विरुद्ध केस दर्ज करवाने वाले अधिवक्ता पर उन्होंने किस लिए और क्यों असीम के विरुद्ध केस दर्ज करवाया इस के जवाब से आप और हम भली भाँती वाकिफ है l संविधान में हम सभी को अभिवयक्ति क़ि आज़ादी का अधिकार दिया गया है l लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है क़ि अभिवयक्ति क़ि आज़ादी के नाम पर हम किसी क़ि भावनाओं का मखौल उडाये कल्पना कीजिये जब कोई अभिवयक्ति क़ि आज़ादी के नाम पर आपके घर क़ि किसी महिला का वैसा कार्टून बनाये जैसा असीम ने भारत माता का बनाया है l चूंकि यंहा मामला हमारे घर का नहीं तो हम चुप बैठकर असीम का समर्थन कर देते है l पत्रकारिता से जुडा होने के कारण मैं ये भली भाति जानता हूँ क़ि हमारी कलम से लिखा गया एक एक शब्द कितना महत्तवपूर्ण होता है और एक छोटी से चूक कभी भी किसी बड़े विवाद का कारण बन सकती है l अभिवयक्ति क़ि आज़ादी के नाम पर हमें कुछ भी करने क़ि छूट नहीं मिल जाती l हर किसी को अपनी बात कहने और अपने विचारों को सामने रखने का अधिकार हमें इसी संविधान से मिला है इसका मखौल उडाना भी तो सही नहीं है l
अभिवयक्ति क़ि आज़ादी के नाम पर हम ऐसा कुछ नहीं कर सकते जिस से किसी क़ि भावनाए आह़त हम क्या पहने और क्या ना पहने इसका अधिकार हमें मिला है लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है क़ि हम बिना कपडे पहने बाज़ार में निकल जाए और दुसरो को शर्मिंदा करे l क्या किसी को अपशब्द बोलकर चर्चा पाना सही है l हमें नहीं भूलना चाहिए क़ि लाख खामियों के बावजूद हमारे देश में लोकतंत्र कितना मज़बूत है कई दुसरे देशो के मुकाबले हमारे देश में लोगो को अधिक आज़ादी प्राप्त है l बेशक देश में भ्रस्टाचार और घोटाले हो रहे है l इस से अंतररास्ट्रीय स्तर पर देश क़ि छवि धूमिल हो रही है l और इसके लिए हमारी सरकार दोषी है इसकी आलोचना क़ि जानी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं के इसके लिए लक्ष्मण रेखा को लांघ दिया जाए l संविधान का सम्मान हम सभी के लिए सर्वोपरि है l असीम त्रिवेदी को देशद्रोह जैसे संगीन आरोप में जेल भेजने क़ि एक पत्रकार होने के नाते मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूँ l लेकिन अभिवयक्ति क़ि आज़ादी के नाम पर उन्होंने जो किया मैं उसका पक्ष किसी कीमत पर नहीं नहीं कर सकता l

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