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जातिवाद का ज़हर ….

मन की बात
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पदोन्नति में आरक्षण के मामले को लेकर देश में बवाल मचा हुआ है l अनुसूचित जाती और जनजाति के लोगो को पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार पशोपेश में है l दरअसल यह विशुद्ध राजनीति है l सभी को अपने वोट बैंक क़ि चिंता है l सच तो यह है क़ि देश में जातिगत व्यवस्था राजनीति क़ि ही देन है l जाति विशेष को अपने खेमे में रखने के लिए राजनीतिज्ञों ने जातिवाद क़ि ऐसी लकीर खींची है l जो मिटने के बजाय और गहरी ही हो रही है l
मेरा एक मित्र जिसने मेडिकल क़ि पढाई कर डॉक्टर बनने का सपना देखा था l इस पेशे के प्रति उसके दिल में इतना जूनून था क़ि दिन रात मेहनत करके उसने मेडिकल प्रवेश परीक्षा दी l हालात क्कुछ ऐसे थे क़ि वह लगातार 18 घंटो तक भी पढ़ा l उसे पक्का यकीन था क़ि उसका नंबर आ जाएगा जब परिणाम आया तो उसका डॉक्टर बनने का सपना आरक्षण क़ि भेंट चढ़ चूका था l चूंकि वह ब्राह्मण जाति से था लिहाज़ा उसके अंक अधिक होने के बावजूद अनुसूचित जाति के एक अन्य छात्र को उसके ऊपर तरजीह मिली l परिणाम आने के बाद वह मुझसे मिलने आया तो उसकी आँखों में आंसू तो थे ही आरक्षण और जाति विशेष के प्रति भरी आक्रोश भी था l तब मुझे लगा क़ि आरक्षण के मुद्दे पर निजी लाभ लेने के लिए राजनेता लोगो के दिलो में जातिवाद का ज़हर किस तरह भर रहे है l
हर साल न जाने कितने मेधावी छात्र अच्छी शिक्षण संस्थाओ में प्रवेश पाने से महज इस कारण वंचित रह जाते है क़ि वह लोग ऊँची जाती से संबंध रखते है l और शिक्षण संस्थानों में निश्चित संख्या में सीटो को आरक्षित वर्ग के लिए रखा गया होता है l साधन संपन्न लोगो के लिए हालांकि दुसरे संस्थाओ का विकल्प रहता है l लेकिन सवाल उन गरीब वर्ग के छात्रों का है जो सरकारी शिक्षण संस्थाओ में प्रवेश के योग्य होने के बावजूद आरक्षण के कारण इस से वंचित रह जाते है l और समाज के बराबर आने का उनका सपना आरक्षण क़ि भेंट चढ़ जाता है l
सच कहूं तो आरक्षण के नाम से ही मुझे खीझ होने लगती है l
पहले आपको पढाई के दौरान आरक्षण का लाभ मिलता है l सरकार आपके लिए अलग से योजनाये बनाकर उनका लाभ आपको देती है l आपको नौकरी में आरक्षण का लाभ दिया जाता है l आरक्षण के चलते आप आसानी से नौकरी पाने में कामयाब रहते है l इसके बाद भी आपको आपकी योग्यता के बजाय सिर्फ इस वजह से पदोन्नति दे दी जाए क़ि आप अनुसूचित जाति अथवा जनजाति से संबध रखते है l जी नहीं मुझे नहीं लगता क़ि ऐसा कर न्याय हो पा रहा है ये तो ऐसा हो गया के आप दिन भर मेहनत करें अथवा न करे आपको रोज़ शाम को घर के दुसरे सदस्यों के सामने से उठाकर मलाई का कटोरा दे दिया जाएगा l शायद यही कारण है क़ि हमारा देश आज भी पिछड़ रहा है क्योंकि यंहा योग्यता नहीं बल्कि जाति व्यवस्था को अधिक महत्तव दिया जाता है l क्या होगा जब किसी विभाग में एक साथ एक ही पद पर नियुक्ति पाने वाले दो लोगो में से एक को आरक्षण का लाभ देकर कुछ समय के बाद ही पदोन्नति देकर दुसरे के सर पर उसका वरिष्ट अधिकारी बनाकर बैठा दिया जाएगा l कल तक साथ काम करने वाले के अचानक ऊपर चले जाने के बाद क्या वह व्यक्ति उसका एक वरिष्ट अधिकारी के रूप में सम्मान कर सकेगा क्या वह उसका आदेश वैसे ही मानेगा जैसा उसे एक वरिष्ट अधिकारी का मानना चाहिए नहीं ऐसा नहीं होगा और इसका सीधा प्रभाव उक्त व्यक्ति और उसकी कार्य क्षमता पर पड़ेगा जिसे संबधित विभाग का कार्य भी निश्चित ही प्रभावित होगा l
कई विभाग ऐसे है जंहा आरक्षण का लाभ देकर अपेक्षाक्रत कम योग्य लोगो को महत्तवपूर्ण पदों पर बैठा दिया गया है l यह लोग कैसे इन विभागों को संभाल सकेंगे ? जब वह इन पदों के योग्य ही नहीं है ! जबकि कई योग्य लोग आज भी दर दर क़ि ठोकरे खाने को विवश है l और यह सब क्यों ? क्योंकि वह अनुसूचित जाति अथवा जनजाति में पैदा नहीं हुए है वह योग्य है लेकिन उनके पास आरक्षण का लाभ नहीं है l
मुझे अभी तक यह समझ नहीं आया है क़ि कैसे ” ऊँची जाति के किसी व्यक्ति द्वारा जातिसूचक शब्द बोलने पर उसके विरुद्ध दलित उत्पीडन का मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है l लेकिन ऐसा करने वाले वही लोग आरक्षण तथा दुसरे लाभ लेने के लिए जाति से संबंधित इसी शब्द को सगर्व दस्तावेजो में लिखते और बताते है ….क्या उस समय उन्हें इस से अपमान महसूस नहीं होता ? जी नहीं क्योकि यंहा मामला निजी लाभ से जुड़ा जो है l
इस सबके लिए हमारे राजनेता ही दोषी है जिन्होंने देश में जातिवाद का ऐसा बीज बोया है क़ि हर बार वह इसकी फसल काट रहे है लेकिन हमें टुकडो में बांटकर एक दुसरे क़ि जाति के प्रति हमारे भीतर ज़हर भर रहे है l दोष आम जन का भी है जो चुनाव के समय विकास के बजाय जात बिरादरी के नाम पर वोट देने जाती है l ऐसे में जाति धर्म क़ि राजनीति करने वाले तो इस खाई को और चौड़ा करेंगे ही ,,…….मुझे लगता है क़ि समय आ गया है जब जातिगत आरक्षण क़ि व्यवस्था में बदलाव कर सिर्फ आर्थिक रूप से कमज़ोर गरीब लोगो को ही आरक्षण का लाभ दिया जाए बाकी सबको उनकी योग्यता के अनुसार सामान अवसर प्रदान किये जाए पर क्या ऐसा कर पाना जातिवाद क़ि राजनीति करने वालो के लिए संभव हो सकेगा …..

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