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क्यों खून के प्यासे हो रहे है लोग ..?

मन की बात
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असम से भड़की साम्प्रदायिकता क़ि आग मुंबई से होते हुए अब उत्तर प्रदेश के लखनऊ और इलाहबाद तक जा पंहुची है l इस साम्प्रदायिक हिंसा में अभी तक लाखो लोग बेघर हो चुके है l न जाने कितने घरो के चिराग बुझ चुके है l हजारो लोगो का सब कुछ इस हिंसा क़ि भेंट चढ़ चुका है l उधर कर्नाटक और पूर्वोत्तर के दुसरे राज्यों से लोग अपना सब कुछ छोड़कर पलायन कर रहे है l पूरे देश में अफरा तफरी का माहोल है l चंद असामाजिक किस्म के लोग जो नहीं चाहते के हमारे देश में शांति रहे और अलग अलग सम्प्रदाय के लोग आपस में मिलजुलकर रहे यह सब कर रहे है l हालाकि यह लोग भी परदे के पीछे छिपे कुछ ख़ास लोगो ले हाथो क़ि कठपुतली मात्र है l
मैं मुस्लिम विरोधी नहीं हूँ सभी धर्मो के लिए मेरे मनं में उतना ही सम्मान है जितना अपने धर्म के प्रति है l लेकिन पता नहीं क्यों पिछले कुछ समय में घटी कुछ घटनाए मुझे और मेरी सोच को भटकाने लगी है l कुछ समय पहले मेरे शहर को साम्प्रदायिक उपद्रव को एक पत्रकार होने के नाते मैंने बड़े नज़दीक से देखा सच तो ये है क़ि इस पेशे में आने से पहले मैं ऐसे किसी मामले में एक आम आदमी के जैसे वही कुछ देखता और समझता था जो हमें मीडिया और दुसरे माध्यमो से दिखाया जाता था l लेकिन इस बार मैंने देखा के उपद्रव के बाद लोगो से शांति बनाने क़ि अपील करने वाले ही रात के अंधरे में अपने कारिंदों को आग में घी डालने क़ि तरकीबे सुझा रहे थे l वह बता रहे थे क़ि कैसे साम्प्रदायिक हिंसा क़ि इस आग को अपने फायदे के लिए और अधिक भड़काना है l
अगर बात क़ि जाए हाल ही क़ि कुछ घटनाओं क़ि तो पिछले दिनों एक विधायक के साथ मिलकर मुस्लिम समाज के लोगो ने दिल्ली में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशो को धत्ता बताकर प्रतिबंधित स्थान पर नमाज अता क़ि कम हिन्दू भी नहीं थे और उन्होंने भी आनन् फानन में वंहा हनुमान चालीसा का पाठ करने क़ि तैयारी शुरू कर दी l हालाँकि उन्हें रोक दिया गया इसके बाद हिन्दू समुदाय में रोष फ़ैल गया l जाहिर सी बात है क़ि एक सम्प्रदाय के लोगो के आक्रोश को भड़काने और और दोनों सम्प्रदायों के बीच आग भड़काने क़ि यह घिनौनी साजिश थी l असम और बरेली में जो कुछ भी हुआ वह किसी से छिपा नहीं है l
लखनऊ में मस्जिद में नमाज पढने के लिए जमा हुए लोगो को इस कदर भड़काया गया क़ि बाहर निकलते ही उन्होंने पत्थर बाज़ी और आगजनी शुरू कर दी दुकानों को लूटा गया निर्दोष लोगो को बेवजह पीटा गया l पार्क में घुमने आई महिलाओं के कपडे फाड़ दिए गए और उनके साथ अभद्रता क़ि गयी l कुछ ऐसा ही नज़ारा कुछ दिन पहले हम मुंबई में देख चुके थे l जंहा भीड़ ने जमकर आगजनी और पत्थर बाजी करते हुए जमकर उत्पात मचाया था l लखनऊ में उपद्रव के दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही l उपद्रवियो को मानो खुली छूट दे दी गयी हो l जो कुछ भी हुआ वह शर्मनाक तो है ही दोनों सम्प्रदाय के लोगो क़ि भावनाओं को भडकाने वाला ही है l दरअसल सियासत करने वाले नहीं चाहते क़ि हिन्दू और मुस्लिम कभी साथ आये l वोट बैंक क़ि राजनीति में यह लोग दोनों सम्प्रदाय के लोगो के बीच पैदा हुई खाई को और छोड़ा करने में लगे है l चाहे वह मुस्लिम आरक्षण का मामला रहा हो अथवा मुस्लिमो को दूसरी सुविधाओ से उपक्रत कर अपने वोट बैंक को मज़बूत करने का हर बार महज अपनी राजनीतिक स्वार्थपूर्ती के लिए इन सियासतदाओ ने देश क़ि अखंडता और शांति को दांव पर लगा दिया है l
मुझे लगता है क़ि यही सब कुछ चला तो आने वाले दिनों में देश साम्प्रदायिक हिंसा क़ि आग में झुलस रहा होगा और सियासतदा इस आग में अपनी राजनीतिक रोटिया सेंक रहे होंगे l पता नहीं क्यों हम यह भूल जाते है क़ि फसाद से किसी का भला नहीं हो सका है l धर्म मजहब के नाम पर किसी निर्दोष का खून बहाने वाले ये नहीं सोचते के इस से किसी धर्म अथवा मजहब को मजबूती नहीं मिल सकती l लेकिन चंद सियासतदाओं के हाथो क़ि कठपूतली बने हम एक दुसरे का खून बहा रहे है l अपने लाभ के लिए यह लोग बस हमारा इस्तेमाल ही कर रहे है है l और हम है क़ि बस इस्तेमाल हो रहे है l

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