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क्या सचमुच आज़ाद है हम ?

मन की बात
मन की बात
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आज हम सब देशवासी भारत क़ि आज़ादी क़ि ६५ वी वर्षगाँठ मना रहे है l हम खुश है क़ि हम आज़ाद है और अपनी मर्ज़ी से कुछ भी कर सकते है, और कंही भी आ जा सकते है, कुछ भी बोल सकते है , लेकिन क्या हम सच में आज़ाद है , क्या हमें पराधीनता क़ि बेडियो से सच में मुक्ति मिल गयी है l आज़ादी क़ि लड़ाई में अपने प्राणों को न्योछावर कर देने वाले अमर शहीदों ने भी ऐसी आज़ादी का सपना नहीं देखा होगा
देश में गरीब और अमीर के बीच क़ि खाई लगातार बढ़ रही है l पैसे वाले दिन प्रतिदिन और अमीर और गरीब और गरीब होता चला जा रहा है l राष्ट्र विरोधी ताकते और अधिक बलवान हो रही है तो आधुनिक युवाओ में देशभक्ति क़ि भावना का हास हो रहा है l फैशन के नाम प़र अधनंगी घूमने वाली युवा पीढ़ी इसी को आज़ादी मानकर शराब क़ि बोतलों के साथ आज़ादी का जश्न मनाती है l पडोसी मुल्क देश और देशवासियों को निगलने को घात लगाये बैठे है l देश क़ि सीमाओं पर दुश्मन से लोहा लेने वाले सैनिको के पास उन्नत हथियार नहीं है l पडोसी मुल्को क़ि ताकत के सामने हम पिछड रहे है l भ्रस्टाचार क़ि दीमक देश को खोखला कर रही है l अपने राजनीतिक स्वार्थो के लिए हमारे नीति नियंता देश क़ि संप्रभुता के साथ समझौता कर रहे है l कुर्सी क़ि खींचतान में डूबे राजनेता देश और देशवासियों के हितो को कब का भुला चुके है l देशभक्ति का मुखोटा लगाकर न जाने कितने लोग हमारे देश को लूटने में लगे है l सोने क़ि चिडिया कहलाने वाले देश क़ि आधी आबादी भूखे पेट सोती है l लाखो लोग फूटपाथ प़र खुले आसमान के नीचे रात गुजरते है l भूख के मारे लोग दम तोड़ रहे है तो हज़ारो टन अनाज बर्बाद हो रहा है l जिसे अवसर मिला वही देश और देशवासियों को दोनों हाथों से लूट रहा है l घर से निकलते वक़्त हम आज़ादी से पहले भी इतना न डरें होंगे जितना आज डरते है l
क्या इसी भारत का सपना देखा था हमारे देश को आज़ादी दिलाने के लिए आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर देने वाले उन अमर शहीदों ने ? ये सवाल किसी और से नहीं बल्कि खुद से पूछिए आपके अंतर्मन से जो जवाब आपको मिले उस प़र एक बार मंथन ज़रूर कीजियेगा l स्वतंत्रता दिवस क़ि हार्दिक शुभकामनाये ……

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