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एक तरफ देश में लाखो टन अनाज खुले आसमान के तले पड़ा सड़ रहा है तो दूसरी और करोडो लोग उसी आसमान के नीचे भूखे रहकर रात गुजारने को विवश है l ये तस्वीर है हमारे उस भारत देश क़ि जिसे २०२० में एक शक्तिशाली विकसित देश बनाने का दावा हमारे राजनेता कर रहे है l समझ से परे है क़ि जो ख्वाब हमें हमारे नीति नियंता दिखा रहे है वह आखिर कैसे सच हो सकता है जब देश में आज भी लोग भूखे है l
अन्नदाता किसानो क़ि मेहनत से इस बार भी देश में खाद्यान्न का रेकॉर्डे उत्पादन हुआ है l इस माह क़ि शुरुआत तक ही देश में करीब ८५० टन अनाज जमा हो चूका था l यह इतना है क़ि सरकार के पास इस अनाज को रखने के लिए जगह भी नहीं है l अनाज के रखरखाव के पर्याप्त इंतजाम न होने के कारण देश में लाखो टन अनाज खुले आसमान के नीचे पड़ा खराब हो रहा है l जरा तस्वीर के दुसरे पहलु पर भी गोर कीजिये हमारे देश में आज भी ३० करोड़ से ज्यादा लोग भूखे पेट सोने को मजबूर है l शर्मनाक तथ्य है क़ि हमारे देश में विश्व के कुल भूखे लोगो क़ि एक तिहाई आबादी निवास करती है l जी हा यही सच है हमारे अतुल्य भारत का l
कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार द्वारा कुछ राज्यों के खाद्यान्न कोटे में कमी कर दी गयी l इस से इन राज्यों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर निर्भर गरीब लोगो के मुह से निवाला छीन गया l कितने आश्चर्य क़ि बात है क़ि एक तरफ तो देश में अनाज के गोदाम भरे पड़े है l वंही करोडो लोगो को दो जून क़ि रोटी भी मयस्सर नहीं है l इसे हमारे नीति नियंताओ क़ि विफलता नहीं तो और क्या कहा जाएगा l खबर है क़ि देश में रखने क़ि जगह न बचने के बाद अब सरकार गोदामों के बाहर पड़े गेंहू के निर्यात क़ि संभावना पर विचार कर रही है l इस दिशा में कदम आगे बढ़ाये जा चुके है l हैरान करने वाली बात यह है क़ि जिस दाम पर सरकार द्वारा गेंहू क़ि खरीद क़ि गयी उस से ७७८ रुपये प्रति कुंतल के नुकसान पर सरकार इस गेंहू को निर्यात करेगी l मतलब साफ़ है क़ि गरीब जनता भूखी मरे तो मरे सरकार को इसकी जरा भी फ़िक्र नहीं l सरकार क़ि ये कार्यप्रणाली समझ से परे है l इस पूरे खेल में परदे के पीछे भी काफी कुछ चल रहा है l दरअसल सरकार से जुड़े कुछ लोग इस गेंहू के साथ खेल खेलते है l पहले बगैर भंडारण के पर्याप्त इंतजामो के बगैर गेंहू क़ि खरीद कर ली जाती है l इसके बाद इसे खुले आसमान के नीचे डाल दिया जाता है सड़ने के लिए अब जब गोदाम ही नहीं होंगे अनाज रखने को तो वो सड़ेगा है l इस गेंहू के सड़ने के बाद इसे खराब बताते हुए इसे बीयर और शराब बनाने वाली कंपनियों को ओने पौने दामे में बेच दिया जाता है l बदले में कम्पनिया इन महानुभावो क़ि जेब गर्म कर देती है l अब हमारे इन नीति नियंताओ को कौन बताये के गरीब को खाने के लिए रोटी चाहिए शराब और बीयर से उनका पेट नहीं भरता l साफ़ है क़ि खून पसीना बहाकर देश का किसान जिस अनाज क उगाता है वह उसी के देश के भूखे लोगो का पेट भरने के काम नहीं आता इस से दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति और क्या हो सकती है देश और देशवासियों के लिए l
इस पूरे खेल क़ि तैयारिया हो चुकी है मानसून दस्तक दे चूका है और लाखो टन अनाज खुले में पड़ा खराब हो रहा है l सरकार यदि चाहे तो इस अनाज से देश के करोडो गरीबो का पेट भर सकती है लेकिन सरकार ऐसा करेगी नहीं क्यों नहीं करेगी ये बताने क़ि ज़रुरत नहीं है l
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