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दहेज़ उत्पीडन कानून ….क्या सब सही है ?

मन की बात
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नोएडा में एक लड़की ने कथित रूप से दहेज़ मांगे जाने पर शादी के दिन ही अपनी शादी से इनकार कर दिया l ऐसा करते ही मीडिया ने लड़की को हीरो बना दिया और उसकी इस हिम्मत की कहानी को कुछ इस अंदाज़ में पेश किया की देखते ही देखते लड़की उस जैसी लाखो लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन गयी l एक कदम आगे बढ़कर लड़की के पिता ने उसके ससुरालियो के विरुद्ध दहेज़ उत्पीडन का मुकदमा दर्ज करा दिया l मामला खूब तूल पकड़ा लेकिन जब सच सामने आया तो कुछ और ही था l कोर्ट ने सुनवाई करते हुए ससुरालियों को निर्दोष पाया तथा उन्हें बरी कर दिया l परन्तु तब तक उस परिवार की इज्ज़त धूमिल हो चुकी थी समाज की नज़रों में वह परिवार खलनायक बन चूका था l जब तक यह मामला चला उस परिवार को काफी कुछ सहना पड़ा l

एक और मामला था जंहा लड़का सादगी पसंद था वह सादे कपडे पहनता और सिर्फ अपने काम पर ध्यान देता था उसकी शादी हुई उसने पत्नी को हर तरह से खुश रखा लेकिन पत्नी चाहती थी के उसका पति जींस पहने और मोर्डेन दिखे लेकिन लड़का सादे ही कपडे पहनता था l उसकी पत्नी एक दिन मायके गयी और फिर वापस न आई कुछ दिन बाद लड़की वालो ने लड़के वालों पर दहेज़ उत्पीडन का मुकदमा दर्ज करा दिया l लड़के की सादगी की कीमत उसके साथ साथ उसके घरवालों को भी चुकानी पड़ी और सभी लोगो को जेल की हवा खानी पड़ी आज भी वो परिवार कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रहा है l

ये केवल दो मामले नहीं है दहेज़ उत्पीडन के ऐसे रोजाना हजारों मामले देश भर में पुलिस और कोर्ट में दर्ज होते है जंहा पति पत्नी के बीच छोटी मोटी किसी बात को लेकर दोनों में अलगाव हुआ और लड़की पक्ष के लोगो ने लड़के वालों के विरुद्ध दहेज़ का मुकदमा दर्ज करा दिया l देश भर में ऐसे हज़ारो परिवार है जिन्होंने कभी दहेज़ नहीं माँगा लेकिन इस आरोप में जेल की हवा ज़रूर खा चुके है l और अब कोर्ट के चक्कर लगा रहे है l

दहेज़ उत्पीडन क़ानून लड़की वालो के लिए एक ऐसा हथियार बनकर रह गया है जिसके दम पर वह लड़के वालों को कभी भी अपने सामने घुटनों पर ला सकते है l ये सच है की दहेज़ लोभियों पर लगाम कसने और दहेज़ के लिए किसी की बेटी हत्या करने अथवा उसे प्रताड़ित करने वालो के लिए ऐसे ही कड़े कानून की आवश्यकता है l परन्तु जिस तरह से इस कानून का दुरूपयोग बढ़ रहा है वह चिंता का विषय है l कई बार मामूली से विवाद पर ही लड़की वाले उसके ससुरालियो पर दहेज़ उत्पीडन का आरोप लगा देते है l और पुलिस तत्काल पकड़कर उन्हें जेल में ठूंस देती है l ऐसे में कई बार बेक़सूर होने के बाद भी ससुरालियों को शारीरिक और मानसिक यातना झेलनी पड़ती है समाज की नज़रों से गिरे सो अलग l हद्द की बात यह की पति के साथ साथ बूढ़े सास ससुर , एक ननद जो या तो पढ़ रही होती है या शादी कर दुसरे घर जा चुकी होती है, अथवा एक जेठानी या देवरानी जो खुद उस घर की बहु होती है का नाम भी जानबूझकर लिखवाया जाता है l दहेज़ एक सामजिक बुराई है दहेज़ मांगने अथवा दहेज़ के नाम पर किसी की बेटी को प्रताड़ित करने वालो को निसंदेह कड़ी सजा मिलनी चाहिए लेकिन इस कानून का दुरुपयोग कर बेकसूरों को झूठे मामले में फ़साने और उनके चरित्र पर कभी न मिटने वाला कलंक लगाने वालो को भी सबक मिलना ज़रूरी है l

एक अनुमान के मुताबिक देशभर में दर्ज होने वाले दहेज़ उत्पीडन के आधे से अधिक मामले गलत होते है अधिकाश मामलो में असली वजह पति पत्नी के बीच का मामूली विवाद ही इसका कारण बनता है l लेकिन इन मामलो की सुनवाई में महिला पक्ष को अधिक तरजीह दी जाती है और लड़के पक्ष को उस अपराध की सजा भुगतनी पड़ती है जो उसने किया ही नहीं l दहेज़ उत्पीडन के बढ़ते मामलो के बीच हम सब इसकी रोकथाम के लिए एक सशक्त क़ानून के पक्षधर है परन्तु इसके नकारात्मक पहलु पर भी गौर किया जाना चाहिए l

आज दहेज़ उत्पीडन क़ानून के बढ़ते दुरूपयोग पर भी विचार करने की आवश्यकता है ताकि किसी युवक को महज़ जींस पहनने से इनकार करने पर ही जेल की हवा न खानी पड़े ……

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