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ये कैसी राजनीति ?

मन की बात
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राहुल गांधी का यह कहना कि संघ ने विभिन्न जगहों पर अपने मोहरे फिट कर रखे है जो मुस्लिम समुदाय कि राह में रोड़े अटकाने का कार्य कर रहे है शायद इसीलिए मुस्लिम समुदाय का भला नहीं हो पा रहा है अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है l उनके इस बयान से संघ अथवा दुसरे राजनीतिक दलों के लोग भले ही कैसी भी प्रतिक्रिया दे परन्तु देश का जो युवा वर्ग राहुल गांधी को एक ऐसे युवा नेता के रूप में देखता है जो जाति और धर्म कि राजनीति ने इतर विकास कि बात करता है वह वर्ग उनके इस बयान से निसंदेह निराश हुआ होगा l

उत्तर प्रदेश में चुनावी जंग जीतने के फेर में सभी राजनीतिक दल इन दिनों मुस्लिमो को रिझाने में जुटे है कांग्रेस इसमें सबसे आगे है पहले मुस्लिम आरक्षण कार्ड और अब आर एस एस पर निशाना साधकर कांग्रेस मुस्लिमो को अपने पक्ष में लामबंद करने के प्रयास में जुटी है l परन्तु अपनी राजनीतिक स्वार्थपूर्ति के लिए दो संप्रदायों के लोगो को एक दुसरे के खिलाफ उकसाना कंहा तक सही है l वर्षो पहले अंग्रेजो ने हमारे देश पर राज़ करने के लिए फूट डालो राज़ करो कि रणनीति बनायी थी अँगरेज़ चले गए परन्तु हमारे राजनीतिक दल आज भी इस रणनीति का अनुसरण करते नज़र आते है परन्तु ऐसा करते समय वह यह भूल जाते है कि अंग्रेजो के लिए हम गैर थे जबकि उनके अपने है l इस तरह हर छोटी बड़ी बात को अपने फायदे के लिए य़ू मज़हबी रंग देकर आखिर क्यों वे हमें हमारे ही लोगो से लड़ने को प्रेरित करते नज़र आते है l राहुल कि बात नहीं उनकी पार्टी के कई दुसरे नेता भी आर एस एस को मुस्लिमो के धुर विरोधी और सबसे बड़े शत्रु के रूप में प्रोजेक्ट करने का कोई मौका नहीं चूकते क्या वास्तव में ऐसा है l

कुछ राजनीतिक दल हिन्दुओ और हिन्दू संगठनों को मुस्लिमो के खिलाफ एक हौवा साबित करने कि कोशिश करते है l मुस्लिमो को उनके अपने ही देश में पराया बताया जाता है क्या सच में ऐसा है l कम से कम मुझे तो ऐसा नहीं लगता एक मुस्लिम व्यक्ति हमारे देश के सर्वोच्च पद पर रहे मैं खुद अपने आस पास ऐसे कई लोगों को जानता हूँ जो मुस्लिम होने के बावजूद पुलिस से लेकर प्रशासन तक विभिन्न विभागी में उच्च पदों पर कार्यरत है l परन्तु निराशाजनक है कि इसके बाद भी हम लोग राजनीतिज्ञों कि बातो में आकर खुद को ही एक दुसरे का शत्रु मान बैठते है देश में जितना सम्मान हिन्दुओ को हासिल है उतना ही सम्मान मुसलमानों को भी हासिल है परन्तु इसके बावजूद देश में हिन्दू –मुस्लिमो के बीच कि खाई कम होने के बजाय बढती जा रही है और ये काम कर रहे है हमारे राजनीतिक दल केवल कांग्रेस ही क्यों भाजपा सपा बसपा कोई भी दल पीछे नहीं है …..चुनाव के दौरान तो ये कोशिशे और तेज़ हो जाति है l राहुल गांधी के बयान के पीछे का सच जो भी रहा हो पर कम से कम उनसे इस प्रकार के गैरजिम्मेदाराना बयान कि उम्मीद नहीं कि जा सकती थी l

साथ ही उनके इस बयान पर कई सवाल भी उठना लाजिमी है क्या आर एस एस इसमें समर्थ है कि वह अपने समान विचारधारा रखने वाले लोगो को प्रशासनिक तंत्र में अपनी पसंद के पदों पर नियुक्त कर अथवा करवा सके यदि उन्हें इस बात कि जानकारी है तो केंद्र कि सत्ता में अहम् भूमिका के बावजूद उन्होंने इस बाबत कोई कदम क्यों नहीं उठाया , आखिर चुनाव के समय ही उन्होंने इसका खुलासा क्यों किया ,यदि ऐसा हो रहा है तो उनकी सरकार क्यों इस पर चुप्पी साधे रही सवाल कई और भी है पर शायद राहुल उनका जवाब न दे सके परन्तु सच तो यह है कि हमारे जो नेता गण देश कि एकता और अखंडता कि बात करते है चुनाव के वक़्त अपने फायदे के लिए वही नेता देश कि एकता और अखंडता में दरार डालने का प्रयास करने से नहीं चूकते l

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